वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-गोरखपुर में महायज्ञ में गजराज ने ऐसा तांडव मचाया कि सब तहस-नहस हो गया। यज्ञ को बंद कर दिया गया। बिदके हाथी ने तीन लोगों की जान ले ली। मरने वालों की पहचान मोहम्मदपुर माफी गांव निवासी कांती देवी (55) पत्नी शंकर उपाध्याय, कौशिल्या देवी (43) पत्नी दिलीप मद्देशिया और कौशिल्या के चार वर्षीय नाती कृष्णा के रूप में हुई है।
गोरखपुर जिले के चिलुआताल इलाके मोहम्मदपुर माफी गांव में बृहस्पतिवार को आयोजित यज्ञ के दौरान निकलने वाली कलश यात्रा में आया भाजपा विधायक विपिन सिंह का हाथी बिदक गया और उसने नानी-नाती समेत तीन लोगों की जान ले ली।
मृतकों की पहचान मोहम्मदपुर माफी गांव निवासी कांती देवी (55) पत्नी शंकर उपाध्याय, कौशिल्या देवी (43) पत्नी दिलीप मद्देशिया और कौशिल्या के चार वर्षीय नाती कृष्णा के रूप में हुई है। जानकारी के मुताबिक, मुहम्मदपुर माफी गांव में श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन 16 फरवरी से 24 फरवरी तक किया गया है।
ग्रामीणों के मुताबिक, 16 से 24 फरवरी तक गांव में लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन किया गया था। बृहस्पतिवार करीब एक बजे कलशयात्रा निकलनी थी। कलश यात्रा के लिए महिलाएं जल भरने जाने वाली थीं। यात्रा में शामिल होने के लिए दो हाथी और दो ऊंट किराये पर लाए गए थे। मौके पर पंडाल में एक हजार से अधिक लोग जमा थे। इसी बीच महायज्ञ में गजराज ने ऐसा तांडव मचाया कि सब तहस-नहस हो गया। यज्ञ को बंद कर दिया गया।
बीमार नाती को हाथी का दर्शन कराने साथ ले गई थी कौशल्या
यज्ञ में शामिल होने के लिए कौशिल्या देवी अपने नाती कृष्णा के साथ गई थी। कृष्णा उनकी बेटी पूजा का बेटा था। वह पांच बच्चों की मां थी, जिसमें एक बेटी डाली की तीन मई 2023 को शादी तय है। बताया जा रहा है कि बेटा अक्सर बीमार रहता था, इसलिए नानी पूजा कराने के लिए कृष्णा को ले गई थी। लेकिन वहां बिदके हाथी ने नानी और नाती दोनों की जान ले ली।
शादी के 12 साल बाद हुआ था बेटे कृष्णा का जन्म
हादसे में मृत कृष्णा, मां-बाप का इकलौता संतान था। परिवार के लोगों ने बताया कि मां पूजा की शादी के 12 साल बाद उन्हें बच्चा हुआ था। तीन दिन पहले मां और बेटा ननिहाल आए थे। तीन महीने पहले घटनास्थल पर स्थित मंदिर पर कृष्णा का मुंडन संस्कार हुआ था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जिस बच्चे की मौत हुई है, वह काफी बीमार चल रहा था। उसके ननिहाल वालों ने मां से कहा था कि बच्चे को यज्ञ में लाकर पूजन कराओ तो वह ठीक हो जाएगा। जिसके बाद मां बच्चे को लेकर मायके आई थी। वह हाथी का पूजन कर बच्चे को आशीर्वाद दिलाने पहुंची थी।
पोती को बचाने के चक्कर में चली गई कांती की जान
कांती पोती आयुष को लेकर यज्ञ में गई थी। वह भी हाथी के पास ही थी। अचानक भगदड़ मचने पर आयुषी को पीछे करके कांती आ गई और फिर उसे पटककर हाथी ने मार डाला।